Star Khabre, Haryana; 17Th June : इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी (BSP) को तगड़ा झटका दिया है। इससे हरियाणा की राजनीति में हलचल है और पिछले कुछ समय से मंद पडे इनेलो में जान आई है। सेंध से पहले हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो और बसपा के बीच पुराने राजनीतिक रिश्ते रहे हैं। दोनों दलों ने मिलकर कई चुनाव लड़े और जीत हासिल की। सबसे उल्लेखनीय बात है कि बसपा से गठबंधन के बाद वोट प्रतिशत बढ़ने से ही इनेलो का चुनाव आयोग से पार्टी के रूप में मान्यता मिली।
बसपा से गठबंधन के बाद ही इनेलो को मिला था मान्यता प्राप्त दल का दर्जा
2019 के चुनाव से पहले भी इनेलो और बसपा के बीच दस माह तक गठजोड़ रहा, लेकिन चौटाला परिवार के सदस्यों के बीच आपसी खींचतान को आधार बनाकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस गठबंधन को लंबा नहीं चलने दिया। अब बड़े चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय सिंह ने ऐसा दांव खेला कि हरियाणा में बसपा का सफाया करते हुए पूरी प्रदेश यूनिट के तमाम उन नेताओं को इनेलो में शामिल कर लिया, जो बसपा का आधार स्तंभ माने जाते रहे हैं।इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। यह अलग बात है कि उनका तीन से ज्यादा बार का कार्यकाल कुछ दिनों का ही रहा, लेकिन इनेलो को बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने के बाद ही मान्यता प्राप्त दल का दर्जा प्राप्त हुआ था। फरवरी 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में हरियाणा में इनेलो को चार और बसपा को एक सीट मिली थी। अब बसपा के दो पूर्व अध्यक्षों का अपनी पूरी टीम के साथ इनेलो में विलय इनेलो के लिए कितना कारगर साबित होगा, यह तो बरौदा विधानसभा सीट का उपचुनाव ही साबित करेगा, लेकिन नए समीकरण शहरी निकाय और पंचायती चुनावो में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं।बरौदा विधानसभा के उपचुनाव में साबित करना होगा अभय चौटाला को अपना कौशल
22 साल पहले की अगर बात करें तो फरवरी 1998 में 12वीं लोकसभा के मध्यावधि चुनावों में हरियाणा में बसपा के साथ चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की हरियाणा लोक दल राष्ट्रीय (हलोदरा) का गठबंधन हुआ। बाद में यह पार्टी नाम बदलकर इनेलो हो गई। इन चुनावों में हरियाणा की कुल 10 सीटों में से हलोदरा ने सात एवं बसपा ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा। हलोदरा ने कुरुक्षेत्र, सोनीपत, सिरसा और हिसार, जबकि बसपा की अंबाला सीट पर विजय हुई। कांग्रेस ने तीन सीटों करनाल, रोहतक और महेंद्रगढ़ में जीत हासिल की, जबकि हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) ने भिवानी और भाजपा ने फरीदाबाद सीट जीती थी।