Star Khabre. Chandigarh; 20th June : लोग हर छोटे-बड़े पल सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, जहां फ्रेंड खूब कमेंट करते हैं। लेकिन ऐसी फ्रेंडलिस्ट किस काम की, जो मुश्किल घड़ी में काम न आए। ऐसा हुआ नयागांव के दशमेश नगर के 42 साल के प्रदीप कुमार के साथ। प्रदीप शुक्रवार सुबह फेसबुक पर लाइव हुए। गले में चुन्नी लपेट रखी थी, जो ऊपर पंखे से बंधी थी। प्रदीप ने कहा-‘मैं खुदकुशी कर रहा हूं। पत्नी से परेशान हो गया हूं।
पत्नी की दोनों बहनें और उनके घरवालों ने मेरा घर बर्बाद कर दिया है। जो मेरे पास पैसा-धेला था, वह चोरी कर ले गए। पांच लाख रुपए पड़े थे, वो भी ले गए। मेरी मौत की जिम्मेदार मेरी पत्नी, उसकी दोनों बहनें और उनके घरवाले होंगे। आखिरी इच्छा यह है कि मेरी मां और बच्चों को हमारे अमृतसर वाले घर में पहुंचा दो। इतना कहने के बाद प्रदीप ने सुसाइड कर लिया।
1 मिनट 4 सेकेंड तक लाइव रहा
फेसबुक पर लाइव होकर 1 मिनट 4 सेंकेड तक प्रदीप दुखड़ा रोता रहा। फेसबुकिया फ्रेंड कमेंट करते रहे कि ‘पाजी ऐसा न करो, यह गलत है’। ‘ये ठीक नहीं है’। ज्यादातर लोग कमेंट करते रहे, लेकिन किसी ने भी न तो पुलिस को फोन किया और न घरवालों से संपर्क करने की कोशिश की।
14 साल पहले हुई थी लव मैरिज
प्रदीप और सीमा की 2006 में लव मैरिज हुई थी। दो बच्चे हैं। एक की उम्र 12 साल तो दूसरे की 9 साल। सीमा मायके गई हुई थी। वीरवार को ही यहां आई थी, लेकिन शुक्रवार सुबह उसका पति से झगड़ा हुआ और करीब साढ़े 9 बजे घर से कैश और गहने लेकर चली गई। पत्नी के जाने के आधे घंटे बाद प्रदीप दूसरे कमरे में गया और फंदा लगा लिया।
पत्नी के खिलाफ केस दर्ज
एसएचओ थाना नयागांव अशोक कुमार ने बताया कि शुक्रवार सुबह 11:30 बजे प्रदीप के पड़ोसियों ने फोन कर सुसाइड की जानकारी दी थी। मां सत्या देवी के बयानों और वीडियो के आधार पर मृतक की पत्नी सीमा के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। सबसे पहले प्रदीप की मां को पता चला कि बेटे ने सुसाइड कर लिया है। पुलिस ने शव खरड़ के सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए रखवाया है। प्रदीप हेयर सैलून में काम करता था।
बाढ़ में दो बार जिंदगीभर की पूंजी बही, हौसले और मेहनत ने सफल इंसान बनाया
1993 में मैं अपने करियर के शुरुआती दिनों में पैर जमाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन कुल्लू में ब्यास नदी में बाढ़ आई। मेरा खरगोशों को पालने के लिए बनाया गया शैड भी बह गया। पूरी जमा पूंजी पानी में बह चुकी थी। मेरे लिए यह बहुत बड़ा झटका था। मुश्किल हालातों में हिम्मत जुटाकर लगभग 18 महीने में दोबारा शैड बनाया। काम थोड़ा चला, लेकिन 1995 में पहले से भी भयंकर बाढ़ आ गई। कुल्लू-मनाली में नदी किनारे बसे सैकड़ों होटल व अन्य इमारतें पानी में बह गईं। एक बार फिर से बाढ़ ने मेरे अगोंरा खरगोश के शैड को तबाह कर दिया।
उसे बचाने की कोशिश में मैं अपनी जान को भी दांव पर लगा बैठा था, लेकिन शैड नहीं बच सका। एक पल के लिए लगा कि मुझे अब जीना ही नहीं है। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। शायद भगवान हमारी परीक्षा ले रहा था। मैंने और मेरी धर्मपत्नी दीप्ति ने 500 रुपए की सब्जी तक बेची। बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आखिर में हौसले और भगवान के आशीर्वाद से हमारे दिन बदलने लगे। कुछ ही सालों में हम हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े शॉल निर्माता व निर्यातक बने। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए 2004 में चंडीगढ़ आ गए। एक फ्लैट खरीदा। उसे बेचकर मुनाफा कमाया।
इसके बाद रियल इस्टेट की मार्केट में कदम बढ़ाए। मेहनत और किस्मत दोनों ने मिलकर काम किया। त्रिशला ग्रुप बनाया, जो अब तक हजारों लोगों को घर व ऑफिस डिलीवर कर चुका है। मैं लगातार कई साल से बिल्डर्स एसोसिएशन के प्रधान के रूप में सेवा कर रहा हूं। नतमस्तक हाे जाता हूं, उस भगवान के सामने, जिसने हर कदम पर मेरी मेहनत का फल देकर मुझे ऊपर उठाया।
जरूरतमंदों की मदद करना मेरा शौक है। हर अच्छे कार्य के बाद भगवान मुझे आशीर्वाद देते हैं और अपनी मौजूदगी का अहसास करवाते हैं। जिंदगी में किसी को हारना नहीं चाहिए। मुश्किल वक्त में तकलीफ जरूर होती है, लेकिन हौसले और हिम्मत से हम अपनी जिंदगी को सफल बना सकते हैं।