Star Khabre, haryana; 25th June : हरियाणा की पहली महिला सांसद एवं पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल 92 वर्षीय चंद्रावती के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) में इलाज में लापरवाही में इमरजेंसी के सीएमओ को निलंबित कर दिया है। प्रोटोकॉल के मुताबिक वीआइपी कमरा नहीं मिला था, जिसके कारण स्वजन उनको पीजीआइ के निजी अस्पताल ले गए थे।
जांच रिपोर्ट में उपराज्यपाल के इलाज में ड्यूटी से गैरहाजिर होने का दिया हवाला
मामले में पीजीआइ प्रबंधन ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जांच कराई। जांच में सीएमओ को ड्यूटी पर गैरहाजिर पाया गया। इसी को आधार बनाते हुए सीएमओ को छह माह के लिए निलंबित किया गया है। खास बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में बड़े जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया गया है।
बता दें कि 13 जून को पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती को चरखी दादरी स्थित उनके आवास से पीजीआइ में लाया गया था। चारपाई से गिरने पर उनके कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। पीजीआइ के इमरजेंसी वार्ड में पहले तो इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
इसके बाद वीआइपी कमरा भी नहीं दिया गया। इससे परेशान होकर स्वजन पूर्व उपराज्यपाल को निजी अस्पताल ले गए। पूर्व उपराज्यपाल को इलाज नहीं मिलने पर विपक्ष के नेताओं ने सरकार को घेरने का काम किया। पीजीआइ प्रबंधन ने इस मामले में 17 जून को कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए।
19 जून को पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी समिति की बैठक में एजेंडा रखा गया। जिसमें जांच रिपोर्ट में सीएमओ डा. कुलदीप को उस वक्त ड्यूटी से गैरहाजिर बताते हुए लापरवाही का दोषी पाया गया। इसी आधार पर उनको छह माह तक निलंबित किया गया है।
जिम्मेदार अधिकारियों पर मेहरबानी क्यों?
पीजीआइ प्रबंधन पर सीएमओ पर कार्रवाई किए जाने के बाद चिकित्सकों में भेदभावपूर्ण कार्रवाई किए जाने की चर्चाएं शुरू हो गई है। चिकित्सकों का कहना है कि पूर्व उपराज्यपाल को प्रोटोकॉल के मुताबिक कमरा नहीं मिला तो इसके लिए सीएमओ को दोषी ठहराना उचित नहीं है।
उनका कहना है कि जांच कमेटी को एक चिकित्सक ने अपने लिखित में बयान दिए है, जिसमें एक महिला चिकित्सक को फोन पर स्पेशल वार्ड में कमरा देने की बात कही थी। लेकिन उनको कहना था कि स्पेशल वार्ड को चिकित्सकों के लिए क्वारंटाइन के लिए आरक्षित किया गया है। इस बयान में सीएमओ डा. कुलदीप का जिक्र नहीं है। चिकित्सकों में चर्चा है कि सीएमओ को बलि का बकरा बनाते हुए निलंबित किया गया है।