Shikha Raghav, Faridabad; 04th June : फरीदाबाद एनआईटी-5 स्थित शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर और सिविल अस्पताल को लेकर एक नया मामला सामने आया है। आरोप है कि शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर में एमआरआई करने के लिए एक व्यक्ति से पैसे लिए गए और जब टेस्ट करने की बारी आई तो उसे सिविल अस्पताल भेज दिया गया। एक वेबपोर्टल में चल रही वीडियो के अनुसार पीड़ित व्यक्ति ने कहा कि वह पुलिस में शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर और सिविल अस्पताल में चल रहे एमआरआई सेंटर की लिखित शिकायत देगा।
हरियाण सरकार ने आमजन को लाभ पहुंचाने और सस्ती दरों पर टेस्ट मुहैया कराने के लिए सिविल अस्पताल में एमआरआई व सी टी स्कैन टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराई लेकिन अब यहां भी एक बड़े झोलझाल के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि सिविल अस्पाल में हो रहे एमआरआई टेस्ट और सी टी स्कैन टेस्ट का लाभ बाहर चल रहे प्राईवेट सेंटर उठा रहे हैं। प्राइवेट सेंटर ग्राहकों से इन टेस्ट के ऐवज में उनसे मोटे पैसे वसूलते हैं और यहां सिविल अस्पताल में सांठगांठ के चलते सस्ती दरों पर टेस्ट करवा लेते हैं। आरोपों की माने तो सांठगांठ तो इस हद तक है कि मरीज की रिपोर्ट मरीज को न देकर वह साफ्ट कॉपी में प्राईवेट लैब/अस्पताल को भेज देते है और फिर प्राईवेट लैब/ अस्पताल उसे अपने लैटरहेड पर निकालकर मरीज को रिपोर्ट दे देते हैं।
बता दें कि गांधी कालोनी निवासी एडवोकेट नरेश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती है जिनका इलाज फोर्टिस अस्पताल से चल रहा है। डाक्टर ने वहां एमआरआई कराने के लिए कहा कि नरेश ने कहा कि यहां चार्जेज अधिक है तो वह यह टेस्ट बाहर करवा लेंगे। इस पर वह शिविम डायग्नोस्टिक सेंटर पहुंचे, जहां उनसे एमआरआई टेस्ट के सात हजार रुपए मांगे गए लेकिन फिर जान पहचान के किसी व्यक्ति द्वारा कहे जाने पर शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर प्रबंधक चार हजार रुपए लेकर टेस्ट करने के लिए राजी हो गए। नरेश के अनुसार उन्होंने पहले एक हजार रुपए लिए और इसके बाद जब टेस्ट करने की बारी आई तो शेष तीन हजार रुपए भी जमा करा लिए। पैसे लेने के बाद टेस्ट कराने के लिए बीके अस्पताल भेज दिया। जब उन्होंने बीके अस्पताल में आकर पूछा कि यहां इस टेस्ट के क्या चार्जेस है तो उन्हें 2400 रुपए बताए गए। नरेश ने आरोप लगाया कि बीके अस्पताल में चल रहे एमआरआई सेंटर में टेस्ट के पैसे पूछे जाने की बात जब शिविम डायग्नोस्टिक सेंटर प्रबंधक को पता चली तो यहां बीके अस्पताल में उन्हें बाद में टेस्ट करने के लिए मना कर दिया गया। उन्हें कहा कि वह यहां यह टेस्ट नहीं कर सकते क्योंकि उनके यहां इतने क्वालीफाईड टैक्नीशियन नहीं है और यह रिस्की है। एडवोकेट नरेश ने शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर और सिविल अस्पताल में चल रही सांठगांठ के बारे में बताते हुए कहा कि पैसे वहां लेकर टेस्ट यहां कराने भेजना यह अपनेआप में सिद्ध करता है कि कहीं न कहीं कोई झोलझाल जरूर है।
जब इस बारे में शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर के इंचार्ज राजवीर से फोन पर बात की गई उन्होंने बताया कि उनके सेंटर की एमआरआई मशीन खराब हो गई थी जिस कारण उन्होंने आज तीन पेशेंट सिविल अस्पताल एमआरआई के भेजे थे। उन्होंने कहा कि उनका बीके अस्पताल के एमआरआई सेंटर के साथ टाईअप है जिस कारण उनके सेंटर की मशीन सही नहीं थी तो उन्होंने वहां भेज दिया। जबकि सिविल अस्पताल के एमआरआई सेंटर में रिस्पेशन पर बैठे व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने डाक्टर से बात की थी तो डाक्टर ने कहा कि यह गर्भवती महिला के आठवे महीने का टेस्ट है जोकि रिस्की है, इस वजह से यह टेस्ट नहीं हो सकता। इसलिए पर्ची नहीं काटी गई।
एक वेबपोर्टल के फेसबुक पेज पर लाइव वीडियो चलने के बाद नरेश के अनुसार सिविल अस्पताल में चल रहे एमआरआई सेंटर के डाक्टर अब उनका टेस्ट करने के लिए राजी हो गए हैं और अब यहां 2400 रुपए की पर्ची काट उनका टेस्ट किया जा रहा है। खबर लिखे जाने तक टेस्ट की पर्ची कट चुकी थी लेकिन टेस्ट होना बाकी था। अब सवाल यह उठता है कि यदि शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर और सिविल अस्पताल के एमआरआई सेंटर के बीच कोई क्नेक्शन नहीं है तो आखिर सिविल अस्पताल के एमआरआई सेंटर ने पहले टेस्ट करने से क्यों मना किया और पहले यह कहा गया कि यह टेस्ट रिस्की है और डाक्टर ने मना कर दिया है तो फिर बाद में यह टेस्ट कैसे किया गया। दूसरा सवाल यह उठता है कि शिवम डायग्नोस्टिक सेंटर ने अपने यहां टेस्ट करने के पैसे लिए तो मरीज को सिविल अस्पताल के एमआरआई सेंटर क्यों भेज दिया गया। तीसरा सवाल यह कि क्या सिविल अस्पताल एमआरआई सेंटर और प्राइवेट डायगनोस्टिक सेंटर के बीच इस प्रकार का टाईअप क्या नियमानुसार किया जा सकता है।