Shikha Raghav, Faridabad; 16 June 2022 : रंगेहाथों पकड़े गए ट्यूबवैल ऑपरेटर को साढ़े तीन लाख रुपए की रिश्वत दिया जाना गले से नहीं उतर रहा है। ट्यूबवैल ऑपरेटर योगेश को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए विजिलेंस की टीम ने बुधवार को रंगेहाथों गिरफ्तार किया। जबकि डील साढ़े तीन लाख रुपए में हुई थी। विजिलेंस की टीम ने आज वीरवार दोपहर में योगेश को कोर्ट में पेश कर दिया जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अवैध निर्माण पर तोड़फोड़ की कार्रवाई न करने की एवज में एक ट्यूबवैल ऑपरेटर को साढ़े तीन लाख रुपए की रिश्वत दिया जाना किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहा। ट्यूबवैल आपरेटर योगेश की गिरफ्तारी के बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है।
चर्चाओं की बात करें तो एक ट्यूबवैल ऑपरेटर को कोई भी अवैध निर्माण कर्ता या फिर कहे कोई बिल्डर रिश्वत क्यूं देगा और वो भी इतनी बड़ी। क्या एक ट्यूबवैल ऑपरेटर के पास किसी भी बिल्डिंग को तोड़ने या टूटने से रूकवाने का अधिकार होता है, जिसके लिए यह रिश्वत दी गई और यदि नहीं तो फिर यह रिश्वत क्यों दी गई।
चर्चा नंबर-2 : क्या ट्यूबवैल ऑपरेटर किसी अधिकारी के कहने पर यह रिश्वत नाम की उगाही कर रहा था ? और यदि हां तो फिर सवाल यह उठता है कि वह कौन सा अधिकारी है।
चर्चा नंबर-3 : अचानक एक ट्यूबवैल ऑपरेटर फील्ड में इतना कैसे सक्रिय हो गया जोकि रिश्वत लेने जैसे मामलों में भी संलिप्त हो गया। किस अधिकारी का उस पर हाथ था या कहे कि उसे किस बड़े अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था जोकि वह रिश्वत लेने जैसा गंभीर अपराध करने से भी नहीं चूका।
चर्चा नंबर 4 : चर्चाओं के बाजार में एक चर्चा बड़ी जोरों से चल रही है एक एएमसी पोस्ट पर बैठा अधिकारी किसी भी कार्य के लिए सीधे एक ट्यूबवैल ऑपरेटर को कॉल करता है। जबकि उस अधिकारी के नीचे और ट्यूबवैल ऑपरेटर से ऊपर कई अधिकारियों की कड़ियां मौजूद हैं। एक्सईन, एसडीओ, जेई को साइड लाइन कर सीधा ट्यूबवैल ऑपरेटर को कॉल कर उसे आदेश देना और उससे सीधा रिपोर्ट लेना भी इस समय चर्चाओं के बाजार में सवालों के घेरे में नजर आ रहा है।
चर्चा नंबर- 5 : क्या यह पहला मामला था कि जिसमें ट्यूबवैल ऑपरेटर ने रिश्वत कहे या उगाही जैसा कार्य करने का काम किया यदि नहीं तो ऐसा फिर कैसे संभव है कि इसके बारे में किसी अधिकारी को पता ही नहीं हो फिर चाहे वह अधिकारी जेई, एसडीओ हो या फिर एक्सईन और यदि हां कि यह पहली बार था तो फिर किसी बिल्डिर ने एक ट्यूबवैल ऑपरेटर जैसी छोटी पोस्ट पर बैठे एक कर्मचारी से साढ़े तीन लाख रुपए की रिश्वत की डील क्यों की। जबकि किसी भी निर्माण को तोड़ने या टूटने से रूकवाने का कार्य उस ट्यूबवैल ऑपरेटर के अधिकार क्षेत्र में आता हीं नहीं है।
चर्चा नंबर 6 : विजिलेंस का दूसरा घर बन चुका है फरीदाबाद नगर निगम। चर्चा है कि विजिलेंस की टीम नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों पर ही अपनी निगाहें गड़ाए बैठी है और जैसे की मौका मिलता है, उन्हें धर दबोच लेती है।
7 फरवरी 2020 को विजिलेंस ने ओल्ड नगर निगम तोड़फोड़ दस्ते के एक सुपरवाइजर को गिरफ्तार किया था जिसमें वह 30 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा था और रिश्वत न देने पर निर्माण को तोड़ने की धमकी दे रहा था।
15 फरवरी 2022 को विजिलेंस की टीम ने नगर निगम फरीदाबाद के अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा और क्लर्क रवि शंकर को करीब डेढ़ लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। विजिलेंस ने पचास हजार रुपये रवि शर्मा के पास से बरामद किए। जबकि 90 हजार रुपये क्लर्क रविशंकर के पास से बरामद किए।
6 अप्रैल 2022 को नगर निगम के 200 करोड़ रुपए के मामले में निगम अधिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद विजिलेंस का निगम में रिकॉर्ड चैक करने के लिए आना-जाना शुरू हो गया।
14 मई 2022 को नगर निगम के 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोपी मुख्य अभियंता डीआर भास्कर को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी अधिकारी शहर के सेक्टर-21डी में ही अपने एक जानकार के फ्लैट में रूका हुआ था।
16 मई 2022 को विजिलेंस की टीम मुख्य आरोपी मुख्य अभियंता डीआर भास्कर को लेकर नगर निगम कागजों की जांच पहुंची।
मुख्य आरोपी मुख्य अभियंता डीआर भास्कर को गिरफ्तार करने के बाद विजिलेंस ने नगर निगम के मुख्य अभियंता रमन शर्मा की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए थे लेकिन 30 मई को नगर निगम के मुख्य अभियंता रमन शर्मा को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए सात दिन के अंदर जांच में शामिल होने को कहा। रमन शर्मा अब जांच में शामिल हो चुके हैं।
15 जून 2022 को विजिलेंस ने नगर निगम के एक ट्यूबवैल ऑपरेटर को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
खैर यह तो चर्चाओं के बाजार की चर्चाएं है, इनमें कौन सी चर्चा सही है और कौन सी गलत यह तो खुद ट्यूबवैल ऑपरेटर या फिर अधिकारी ही बता सकते हैं लेकिन हां ट्यूबवैल ऑपरेटर योगेश के रंगेहाथों गिरफ्तार होने के बाद नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों में दहशत का माहौल जरूर देखा जा सकता है।