'हाहाहा... हाहाहा... हाहाहा...'
Star Khabre, Delhi; 08th February : राज्यसभा में सुनाई दिए हँसी के ये ठहाके कांग्रेस की सांसद रेणुका चौधरी के थे. लेकिन इन ठहाकों से चमकती कांग्रेसी नेताओं की आंखें तब रूठ गईं, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने रेणुका चौधरी की हँसी को रामायण से जोड़ दिया.
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान हँसती हुईं रेणुका को जब डपटते हुए रोकना चाहा, तब पीएम ने कहा, ''सभापति जी, मेरी आपसे प्रार्थना है कि रेणुका जी को कुछ मत कहिए. रामायण सीरियल के बाद ये हँसी सुनने का सौभाग्य आज मिला है.''
मोदी के इस बयान की कांग्रेस जमकर आलोचना कर रही है. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब रेणुका चौधरी चर्चा में हैं.
इससे पहले भी कई बार वो ख़बरों में रह चुकी हैं.
13 अगस्त 1954 को विशाखापट्टनम में जन्मीं रेणुका चौधरी तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं.
रेणुका के पिता एयर कमांडर केएस राव भारतीय वायुसेना में थे. ऐसे में पिता के ट्रांसफर के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में रेणुका को रहना पड़ा.
रेणुका ने देहरादून से स्कूली और कर्नाटक यूनिवर्सिटी से इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी की पढ़ाई की. उन्होंने दिल्ली से दसवीं की पढ़ाई की और वो पंजाब में भी रहीं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रेणुका जब 21 साल की थीं तब उन्होंने हैदराबाद के व्यापारी श्रीधर चौधरी से शादी की. रेणुका और श्रीधर की दो बेटियां भी हैं.
एक इंटरव्यू में अपनी पहली डेट के बारे में रेणुका ने कहा था, ''मैं अपनी पहली डेट पर जींस पहनकर गई थी. मेरे पति ने इस पहली डेट पर मुझसे रुपये उधार मांगे थे.''
रेणुका को कला, किताबें और संगीत का शौक है. रेणुका से एक इंटरव्यू में ये सवाल किया गया कि क्या आप राजनीति में इसलिए आईं, क्योंकि आप मॉडलिंग और फ़िल्मों में फेल हुईं थीं?
इसके जवाब में रेणुका ने कहा, ''मैं कभी फ़िल्मों में नहीं रही. मुझमें कुछ ऐसा था, जिसके चलते मैं राजनीति में आई. मैं अपनी ज़िंदगी में कभी फेल नहीं हुई.''
साल 1984. तेलगू देशम पार्टी से रेणुका की राजनीति में शुरुआत.
1986 और 1992 में रेणुका दो बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं.
1997-98 तक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री रहीं.
1999 और 2004 में आंध्र प्रदेश के खम्माम सीट से लोकसभा के लिए चुनी गईं. 2009 में इस सीट पर एक लाख वोटों से हारीं.
2012 में राज्यसभा भेजी गईं. इन सालों में वो कई कमेटियों की सदस्य रहीं और कई मंत्रालयों को भी संभाला.
रेणुका के राजनीतिक करियर की शुरुआत जिस टीडीपी से हुई, वहां उन्हें शुरुआत में अच्छे मौके मिले.
टीडीपी को बनाने वाले एनटीरामा राव यानी एनटीआर ने एक बार रेणुका को 'टीडीपी का इकलौता मर्द' कहा था.
1994 के दौर में रेणुका की टीडीपी से नाराज़गी सामने आने लगी. 1996 में एनटीआर भी दुनिया में नहीं रहे.
1997 में ये मतभेद खुलकर सामने आने लगे. ऐसा ही एक वाकया 1997 में सितंबर महीने का था. तब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू थे.
एक प्लॉट में कब्ज़े को लेकर रेणुका के तीन समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया. इस बारे में जब रेणुका ने सुना तो वो गुस्से में तमतमाते हुए पुलिस थाने में दाखिल हुईं और अपने समर्थकों को थाने से लेकर निकल पड़ीं.
एक ओर उत्साही समर्थकों ने रेणुका को 'जंबो' नाम दिया. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नायडू को अपनी पार्टी की नेता की इस हरकत पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी.
रेणुका ने अपने बचाव में कहा था, ''मैंने बस वो किया, जिससे कोई कानून को अपने हाथ में न ले सके.''
यहां से रेणुका टीडीपी के रास्ते से अलग चलने लगी थीं. रेणुका साल 1998 ख़त्म होते-होते टीडीपी से कांग्रेस में आ गईं. रेणुका का बीजेपी को लेकर क्या नज़रिया रहा है, इसका अंदाज़ा आप रेणुका के टीडीपी छोड़ने की बात से लगा सकते हैं.
रेणुका ने तब कहा था, ''टीडीपी का रंग पीले से भगवा हो चुका है.'' रेणुका का इशारा उस दौर में टीडीपी की बीजेपी से बढ़ती नज़दीकियों की तरफ था.
साल 1998. ये वो दौर था, जब टीडीपी से रेणुका चौधरी को किनारे कर दिया गया था.
इस दौर के दो बयानों ने काफी सुर्खियां बंटोरी थीं. रेणुका ने चंद्रबाबू नायडू को 'बस स्टैंड के पास खड़ा जेबकतरा' बताया था.
इससे कुछ वक्त पहले ही रेणुका ने पार्टी की नेता और राज्यसभा सांसद जयप्रदा को'बिंबो' कहा था. बिंबो का एक अर्थ कमअकल खूबसूरत औरत भी होता है.
रेणुका खुद को राज्यसभा न भजे जाने से नाराज़ थीं और ये नाराज़गी इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि ये दोनों ही बयान रेणुका ने एक टीवी चैनल पर दिए.
उधर नायडू की नाराज़गी इस बात को लेकर थी कि इंद्रकुमार गुजराल की सरकार में रेणुका को जगह मिली जबकि वो जयाप्रदा के पक्ष में थे.
साल 2011 में रेणुका ने कहा था, 'मैं तो अपने पति को धोती में देखना चाहती हूं. लेकिन वो धोती पहनते नहीं हैं. धोती पहने हुए मर्द अच्छे लगते हैं. सूट-पैंट बकवास हैं. अब चूंकि मैं स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी हूं तो मेरे पास ये तथ्य हैं कि धोती से प्रजनन क्षमता बढ़ती है.'
रेणुका के इस बयान पर जमकर हंगामा हुआ था.
रेणुका यूपीए सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भी रह चुकी थीं. दो बरस पहले रेणुका की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी.
इस तस्वीर में रेणुका खाने की टेबल पर परिवार के साथ बैठी हुई थीं. एक नन्ही बच्ची उनके पास थी और पीठ की तरफ एक नैनी खड़ी थी.
सोशल मीडिया पर लोगों ने आलोचना करते हुए इसे 'आधुनिक गुलामी' कहा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साल 2015 में एयर इंडिया की एक फ्लाइट सिर्फ़ इस वजह से वक्त पर उड़ान नहीं भर पाई, क्योंकि रेणुका चौधरी शॉपिंग करने में व्यस्त थीं.
साल 2008 में रेणुका चौधरी जब महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं, तब उन्होंने रिएलिटी शो में बच्चों को भेजने पर टिप्पणी की थी. रेणुका ने कहा था, ''मां-बाप को अपने बच्चों को रिएलिटी शो में भेजने से बचना चाहिए.''
रेणुका जब यूपीए कैबिनेट में मंत्री थीं, तब भी वो आक्रामक होकर बोलती थीं. कैबिनेट सचिवों से उनके मतभेद और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे शिकायती ख़त इसी क्रम में कुछ उदाहरण हैं.
2004 में मंत्रालय संभालने के एक महीने के भीतर 125 करोड़ रुपये खर्च करने को लेकर रेणुका की तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम से अनबन की ख़बरों ने भी अख़बारों में जगह बनाई थी.
'सोनिया गांधी: ए एक्सट्रा ऑर्डिनरी लाइफ एन इंडियन डेस्टिनी'क़िताब में रानी सिंह ने रेणुका चौधरी और सोनिया की क़रीबी पर लिखा है.
किताब में वो लिखती हैं, ''साल 2004 में सारी निगाहें इस तरफ थीं कि सोनिया गांधी भारत की प्रधानमंत्री बनेंगी या नहीं. तब बीजेपी नेता देश में एंटी सोनिया रैली निकाल रहे थे.
तब सोनिया प्रधानमंत्री न बन पाए, इसको लेकर सुषमा स्वराज ने धमकी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो वो अपने बाल काट लेंगी और रंग त्यागकर सफेद साड़ी पहनेंगी.
कांग्रेस के भीतर भी इस बात को लेकर मंथन चल रहा था कि सोनिया प्रधानमंत्री की कुर्सी तक कैसे पहुंच सकती हैं. पार्टी दफ्तरों सोनिया के नाम के साथ 'आपको प्रधानमंत्री बनना ही होगा' की आवाज़ें उठ रही थीं.
तभी एक बैठक के बाद सोनिया गांधी ऐलान करती हैं कि प्रधानमंत्री बनना उनका लक्ष्य नहीं है. इस बयान के कुछ देर बाद रुआते चेहरे लेकर कांग्रेसी नेता मीडिया के सामने आते हैं.
इन नेताओं में जो एक चेहरा सबसे ज़्यादा फफकता हुआ नज़र आ रहा था, वो था रेणुका का चेहरा.
रोती हुए रेणुका कहती हैं- 'हम याद रखेंगे कि जब स्वार्थी कांग्रेसियों ने आपको अपने मतलब के लिए सत्ता से दूर किया. गंदी राजनीति के तहत आपको अपमानित किया गया. मैं आपसे एक और स्वार्थी विनती करती हूं. प्लीज़ हमारा नेतृत्व करना जारी रखिए. वक्त की यही मांग है.'
माना जाता है कि अहमद पटेल के बाद पार्टी के भीतर सोनिया गांधी से जिन नेताओं की काफी क़रीबी है, उनमें रेणुका चौधरी का नाम भी शामिल है.
अभी कुछ दिन पहले जब राहुल गांधी की जैकेट को बीजेपी ने 65 हज़ार की बताया था. तब राहुल के बचाव में रेणुका आगे आई थीं.
रेणुका ने कहा था, ''अगर मोदी चाहते हैं तो मैं उनके लिए ऐसी ही जैकेट 700 रुपये में दिलवा सकती हूं. लेकिन उनकी 56 इंच की छाती के अलावा मेरे पास कोई माप नहीं है. मैं नहीं जानती कि बीजेपी की इस निराशा पर रोऊं या हँस दूं.''
ये शायद तभी की हँसी की ख्वाहिश थी, जिसे रेणुका ने राज्यसभा में पूरा करना चाहा था. लेकिन सामने नरेंद्र मोदी थे, जिनकी स्मृति में रामायण के राम का त्याग नहीं, रावण या किसी राक्षसी की हँसी थी!