Star Khabre, Delhi; 03rd March : कोलकाता के चहेते बेटे सौरव गांगुली टीम इंडिया के महान कप्तानों में से एक हैं। गांगुली को ड्रेसिंग रूम में आक्रमकता जगाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने टीम को बताया कि वह किसी भी जगह जीत दर्ज कर सकती है। गांगुली ने लगातार टीम के खिलाड़ियों का समर्थन किया और उन्हें अपने आप को अभिव्यक्त करने की इजाजत दी। साल 2008 में रिटायर होने के बाद गांगुली क्रिकेट की प्रशासकीय गतिविधियों में काफी सक्रिय हुए और उन्होंने गेम में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। साथ ही उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की कई रोचक कहानियों का भी खुलासा किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कप्तान रहते हुए कड़ा फैसला लेने वाली बात का खुलासा किया।
कोई क्रिकेट फैन शायद ही 2003 में वह दोपहर भूला होगा जब टीम इंडिया जोहानसबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मुकाबला खेलने उतरी थी। टीम इंडिया के पास वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाने का शानदार मौका था। हालांकि, मैच शुरू होने से पहले गांगुली ने एक आश्चर्यजनक फैसला लेकर कई फैंस को जोरदार झटका दिया था। टीम इंडिया ने फैसला किया कि अनुभवी लेग स्पिनर अनिल कुंबले को अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया जाएगा, जिससे कई फैंस स्तब्ध रह गए थे। फाइनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया से शिकस्त झेलना पड़ी और टीम इंडिया के दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया। फाइनल के बाद कई बार कुंबले को हरभजन सिंह के लिए अपनी जगह गंवाना पड़ी। गांगुली ने स्वीकार किया कि कुंबले को बाहर करना उनकी कप्तानी के कड़े फैसलों में से एक रहा।
गांगुली ने स्पोर्ट्स्टार को दिए इंटरव्यू में कहा, 'कुंबले को अंतिम एकादश से बाहर करना कड़ा फैसला था। वह महान और शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी हैं। उनको बाहर करना मेरा सबसे कड़े फैसलों में से एक रहा।' टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और 'क्रिकेट के भगवान' माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर की दोस्ती से लगभग सभी क्रिकेट फैंस वाकिफ हैं। दोनों की दोस्ती अंडर-16 क्रिकेट के दिनों से हुई, जो इंटरनेशनल क्रिकेट में भी बरकरार रही। सौरव गांगुली ने अब तेंदुलकर के साथ अपनी दोस्ती के एक किस्से का उल्लेख किया है। सौरव गांगुली ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया है, जिसमें 1996 में लॉर्ड्स टेस्ट का जिक्र किया गया है। गांगुली ने बताया कि उनके बल्ले में दरार पड़ गई थी, लेकिन वह उसी बल्ले से खेलना चाहते थे क्योंकि उस बल्ले से वह काफी रन बना रहे थे।
टी ब्रेक के दौरान गांगुली के बल्ले की टेपिंग तेंदुलकर ने की थी। दादा के नाम से मशहूर गांगुली ने कहा, 'मैं अपने पहले टेस्ट में था। टी ब्रेक तक मैं 100 रन पर खेल रहा था। तकरीबन छह घंटे बल्लेबाजी करने के बाद मैं आया। मेरे बल्ले का हैंडल चटक गया था, जिसके कारण उसमें दरार पड़ गई थी। ब्रेक सिर्फ 15 मिनट के लिए था। मैं टेप से बल्ले को बांधने में जुटा था, तभी सचिन वहां आए और बोले- तुम आराम से चाय पियो, क्योंकि तुम्हें जाकर अभी खेलना है। मैं उसे (बल्ले) सही कर देता हूं।' बहरहाल, गांगुली को भारत के सर्वकालिक महान कप्तानों में से एक माना जाता है। उन्होंने हाल ही में प्रकाशित अपनी नई किताब 'अ सेंचुरी इज नॉट इनफ' में कई रोचक किस्सों का खुलासा किया है। गांगुली ने धोनी को लेकर भी एक खुलासा करते हुए कहा, 'काश 2003 वर्ल्ड कप में मेरी टीम में धोनी होते। मुझे कहा गया कि जब हम 2003 वर्ल्ड कप खेल रहे थे, वह तब भी टिकट कलेक्टर थे।' उन्होंने आगे कहा, 'धोनी की खोज करके मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने अपने आप को इस स्तर तक पहुंचाया और अब सभी जानते हैं कि वह किसी भी टीम के लिए कितनी अहमियत रखते हैं।