Latest :
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे लिंक रोड पर डेढ़ महीने तक डायवर्ट रहेगा ट्रैफिकफरीदाबाद की मोहना मंडी में किसानों ने जड़ा ताला, सरकार को दिया 24 घंटे का अल्टीमेटमजल्द से जल्द करे शेष बचे विभागो में नोडल अधिकारियों को नियुक्ति : नगराधीशलोकसभा आम चुनाव के मद्देनजर जिले में धारा 144 छह जून तक लागू रहेगी श्रीराम नवमी पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में निकाली भव्य झांकी बृजभूषण के खिलाफ जंग छेड़ने का साक्षी को मिला इनाम, टाइम मैगजीन की टॉप 100 हस्तियों में शामिल नामपहले लूटा कैश और मोबाइल, फिर उतारा मौत के घाट...कुछ दिनों में विदेश जाने वाला था मृतक दुबई के बाद ईरान में बिगड़ा मौसम, दिल्ली समेत इन इलाकों में अगले चार दिन बारिश का अनुमानभगवान राम के जन्‍मदिन पर अयोध्या पहुंचे 'सूर्य देव', तिलक लगाकर दिया आर्शीवाद; देखें अद्भुत झलकपहले चरण की 102 सीटों पर चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन; 19 अप्रैल को होगा मतदान
WhatsApp/FaceBook Masala : Zamane Ke Naye Andaz Me

'दिमागी शक्ति को बचाए रखने के लिए फेसबुक, ट्वीटर से करें तौबा'

August 09, 2015 12:17 PM

Star Khabre, August 9th : जो किशोर फेसबुक, ट्वीटर और इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर प्रतिदिन दो घंटे से ज्यादा समय बिताते हैं उनके लिए यह नया अध्ययन कुछ जानकारियों का खुलासा करता है। इसके हिसाब से सोशल नेटवर्किंग साइट्स के ज्यादा लंबे समय तक प्रयोग से किशोरों में आत्महत्या की भावना बढ़ाने वाले विचारों, मनोवैज्ञानिक परेशानियों और मानसिक विकारों के बढ़ने का खतरा रहता है और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी खराब करता है।

शोधार्थियों का कहना है कि जो किशोर लंबे समय तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रयोग करते हैं उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन अभिभावकों को तो एक महत्वपूर्ण संदेश देता ही है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवा प्रदाताओं के लिए एक अवसर भी है कि वे इन साइटों पर अपनी पहुंच बढ़ाएं।

कनाडा में ओटावा पब्लिक हेल्थ के ह्यूग्यूस सांपसा-कयिंगा और रोजमंड लुईस ने सातवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के ओंटेरियो छात्र दवा उपभोग एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण आंकड़ों का विश्लेषण किया। इनमें से लगभग 25 प्रतिशत छात्रों को दो घंटे से ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट्स प्रयोग करने का आदी पाया गया। शोधार्थियों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताए वक्त की तुलना किशोरों के मनौवैज्ञानिक परीक्षणों और आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सहायता जरूरतों से की।

कैलिफोर्निया के सैंन डिएगो के इंटरेक्टिव मीडिया इंस्टीट्यूट की ब्रेंडा के. वीडरहोल्ड ने कहा, ‘यह वह है जहां हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स को पाते हैं, जो किसी के लिए परेशानी का सबब हैं और किसी के लिए समाधान।’ उन्होंने कहा कि जैसा कि किशोर इन साइटों का प्रयोग करते हैं तो यह जन स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक अवसर की तरह है कि वे इस विस्तृत जनसंख्या तक पहुंचकर स्वास्थय सेवाओं और सहायता का यहां पर प्रचार करें। यह अध्ययन साइबर साइकलोजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किंग जर्नल में प्रकाशित हुआ है। (भाषा)

 
Have something to say? Post your comment
More WhatsApp/FaceBook Masala : Zamane Ke Naye Andaz Me
 
 
 
 
 
 
Grievance Redressal Disclaimer Complaint
Star Khabre
Email : editor@starkhabre.com
Email : grostarkhabre@gmail.com
Copyright © 2017 Star Khabre All rights reserved.
Website Designed by Mozart Infotech